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कानपुर में शीत लहर का कहर, हालत बिगड़ने के बाद 19 रोगियों की मौत

शहर में ठंड का कहर तेज होता जा रहा। इससे धमनियां सिकुड़ने से हृदय रोगियों की हालत बिगड़ जा रही है। सांस के रोगियों की भी जान पर आफत है। शुक्...


शहर में ठंड का कहर तेज होता जा रहा। इससे धमनियां सिकुड़ने से हृदय रोगियों की हालत बिगड़ जा रही है। सांस के रोगियों की भी जान पर आफत है। शुक्रवार को 19 रोगियों की मौत हुई। 



तीमारदारों के मुताबिक मरने वाले हृदय रोगियों में अधिकांश की तबीयत रात में बिगड़ी है। सात रोगियों की हार्ट अटैक, दो की ब्रेन अटैक, छह की सीओपीडी, दो की अस्थमा और दो की सेप्टीसीमिया से मौत हुई है। दोपहर तक हैलट इमरजेंसी में ब्रेन अटैक के पांच और सीओपीडी के तीन रोगियों को गंभीर हालत में भर्ती किया गया।
 
स्वरूपनगर के रहने वाले रोहन (55) और आर्यनगर के विनोद (48) की क्षेत्र के अस्पताल में हार्ट अटैक से मौत हो गई। तीमारदारों ने बताया कि रात में अचानक तबीयत बिगड़ी और बेहोशी आ गई। इसी तरह कार्डियोलॉजी में ओपीडी स्तर पर इलाज करा रहे रावतपुर के हीरालाल (62), कल्याणपुर के स्वरूप पुरी (60) की हार्ट अटैक से मौत हो गई। 


रामादेवी के रहने वाले राजेश वैश्य (48) और रूपाली (40) की हार्ट अटैक से मौत हो गई। हाई ब्लड प्रेशर से सांस फूलने पर परिजन उन्हें क्षेत्र के अस्पताल ले गए थे।


जाजमऊ के रहने वाले कारोबारी शकील जावेद (55) की हार्ट से अटैक मौत हुई। परिजन उन्हें क्षेत्र के अस्पताल में दिखाने के बाद लखनऊ लेकर जा रहे थे। तीमारदारों ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें स्टेंट पड़ा था। इसी तरह ब्रेन अटैक से कल्याणपुर के राजकुमार (47), मंधना के
रूप कुमार (52) की मौत हुई है। उन्हें कल्याणपुर के नर्सिंगहोम लाया गया। 


रोगियों की नाकसे खून आ गया था। सीओपीडी रोगी नौबस्ता के ललिता देवी (60), जाजमऊ के अहसन (61) और मछरिया के देवेंद्र (60) की मौत हुई है। इनका इलाज डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल में
ओपीडी स्तर पर चल रहा था।


इसी तरह गोविंदनगर के रघुनंदन (48), किदवईनगर के आशिक (55) और मतेश (60) की सीओपीडी से मौत हुई है। ये अपना इलाज निजी विशेषज्ञ के यहां करा रहे थे। काकादेव की अस्थमा रोगी शकुंतला (65) और नवाबगंज के दिनेश (55) की गुरुवार देर रात मौत हो गई। 


वायरल संक्रमण के बाद सरसौल के रहने वाले मनवर (48) और योगेंद्र (65) के शरीर में संक्रमण फैल गया और मौत हो गई। रोगियों का इलाज लालबंगला के एक अस्पताल में चल रहा था।