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किसानी को बचाने के लिए संगठित होकर लड़ें किसान : भूपेंद्र सिंह हुड्डा

सरकार की ग़लत नीतियों की वजह से आज किसानी ख़तरे में है। इसलिए किसानों को एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है। किसान विभिन्न धर्म और जात...

सरकार की ग़लत नीतियों की वजह से आज किसानी ख़तरे में है। इसलिए किसानों को एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है। किसान विभिन्न धर्म और जाति से होता है। खेत में काम करने वाला हर मेहनतकश किसान है। चौधरी छोटूराम के बताए रास्ते पर आगे बढ़कर और उनकी विचारधारा को अपनाकर ही किसानों का भला हो सकता है। 


ये कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। श्री हुड्डा आज भारतीय किसान यूनियन द्वारा आयोजित स्व. चौधरी छोटूराम जयंती समारोह में बोल रहे थे। समारोह का आयोजन पानीपत स्थित किसान भवन में किया गया था। इस मौक़े पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान नेता चौ. छोटूराम की प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 


कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष ने चौधरी छोटूराम के जीवन और उनकी विचारधारा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये चौधरी छोटूराम की महानता और ऊंची सोच ही है कि हम आज भी उनको याद करते हैं। छोटूराम ने अंग्रेज़ों से लड़ते हुए, उनके शासनकाल में ही किसानों के हक की आवाज़ को उठाना शुरू कर दिया था। उनका मानना था कि पेशावर से लेकर पलवल तक जिस किसान के हाथ में हल है और जिस भी मेहनतकश की कमीज में पसीने की ख़ुशबू है, वो सब मेरे बेटे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि खेती से जुड़ा हर वो शख़्स जो धरती मां का पेट चीरकर अपनी आजीवका चलाता है, वो किसान है, उसकी और कोई जाति नहीं होती। छोटूराम की इसी विचारधारा को समझते हुए आज किसान वर्ग को एकजुट होकर आगे बढ़ने की ज़रूरत है। 


भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसान की लड़ाई लड़ना और उसे जीतना आसान नहीं है। ख़ासकर आज के दौर में, जब सरकार की नीतियों की वजह से किसान संकट में है। आज खेती लागत लगातार बढ़ती जा रही है और फसलों के भाव नहीं बढ़ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने आंकड़ों के ज़रिए बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान छोटूराम जी से प्रेरणा लेकर किसानों के हित में कई ऐतिहासिक काम किए गए थे। 


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार में खाद और कृषि उपकरणों पर किसी तरह का टैक्स नहीं था। यहां तक की फसली ऋण पर ब्याज को भी ज़ीरो फ़ीसदी कर दिया गया था, जो कि पहले 12 फ़ीसदी तक हुआ करता था। हमारी सरकार ने नियम बनाया था कि कर्ज नहीं चुका पाने की सूरत में किसी भी किसान की गिरफ्तारी या उसकी ज़मीन की कुर्की नहीं होगी। पहले की सरकारों की ग़लत नीतियों के कारण से कर्ज़दार हुए किसानों को राहत देने के लिए हमारी सरकार ने 2136 करोड़ रुपये के कर्ज़े माफ़ किए थे, साथ पहली कलम से 1600 करोड़ के बिजली बिल माफ़ करने का ऐतिहासिक फ़ैसला भी लिया था। 


भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चौधरी छोटूराम जैसे महान शख़्स की सीख ही थी कि हमने किसानों को उसकी फसल का उचित भाव दिया। हमारी सरकार में धान का रेट 5000 रुपये से पार पहुंच गया था। पॉपुलर भी 1250 रुपये के रेट पर किसान से ख़रीदा जाता था। पॉपुलर के पत्ते तक इतने अच्छे भाव में बिकते थे कि किसान अपनी बेटियों की शादी का ख़र्च आराम से जुटा लेते थे। हमारी सरकार के दौरान कपास और गन्ने का रेट देश में सबसे ज़्यादा था। 


श्री हुड्डा ने कहा कि बीजेपी की पिछली खट्टर सरकार ने 5 साल में गन्ने के रेट में बमुश्किल 30 रुपये का इज़ाफ़ा किया। मौजूदा भाजपा-जजपा सरकार ने तो 5 पैसे भी रेट नहीं बढाये। 2005 से 2014 तक हमारी कांग्रेस सरकार में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोत्तरी के साथ गन्ने का रेट 117 से 310 रुपये तक पहुंच गया था। यानी इस दौरान ऐतिहासिक 193 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई थी।


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान हमने नीति बनाई थी कि अगर खेत में काम करते हुए किसी किसान या मजदूर की दुर्घटनावश मौत होती थी तो परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता दी जाती थी। अगर पशुपालक की भैंस की किसी अनहोनी में मौत होती है तो उसे 50 रुपये और बकरी के लिए 20 हज़ार रुपये तक सहायता दी जाती थी। 


भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भारतीय किसान यूनियन से आह्वान किया कि चौधरी छोटूराम जी से प्रेरणा लेकर किसानों की आवाज़ को और मजबूती से उठाने की ज़रूरत है। मेरी यही कोशिश रहती है कि विधानसभा से लेकर हर मंच पर उनके हक़ों की आवाज़ को बुलंद किया जाए। क्योंकि यहीं से देश और प्रदेश की तरक्की का रास्ता निकल सकता है।