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फार्मासिस्ट एसोसिएशन के दोनों गुटों की संगठनात्मक गतिविधियों पर रोक दोनों पक्षों की वैधानिकता के संबध में निर्णय लेने हेतू शासन को भेजी गई पत्रावली

स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तराखंड के दोनों गुटों पर संघ से संबंधित किसी भी कार्य करने की अनुमति पर रोक लग...

स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तराखंड के दोनों गुटों पर संघ से संबंधित किसी भी कार्य करने की अनुमति पर रोक लगा दी गई है। साथ ही कौन सा पक्ष वैधानिक है इसका निर्णय लेने के लिए पत्रावली को शासन को भेज दिया गया है मालूम हो कि मान्यता प्राप्त डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के एक ही मान्यता व एक पंजीकरण संख्या पर विगत 2 वर्षों से दो कार्य समितियां कार्य कर रही हैं और दोनों के ही द्वारा स्वयं को असली फार्मासिस्ट एसोसिएशन बताया जा रहा है। जिससे महानिदेशालय के सामने भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। 14 जनवरी 2018 को देहरादून में हुए प्रदेश अधिवेशन में डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन में दो फाड़ हो गए थे शासन को लिखे पत्र में महानिदेशालय ने कहा है कि फार्मासिस्ट संवर्ग के मान्यता प्राप्त संगठन में दो पृथक पृथक कार्यकारिणी के पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर महानिदेशालय को पत्राचार किए गए जिस कारण महानिदेशालय द्वारा दोनों के पक्षों के अध्यक्ष क्रमशः एसपी सेमवाल व प्रताप सिंह पवार से उनकी वैधानिकता का परीक्षण किए जाने हेतु अभिलेख मांगे गए दोनों पक्षों से प्राप्त अभिलेखों से महानिदेशालय यह तय नहीं कर पाया कि कौन सा पक्ष वैध है और कौन सा अवैध है।


क्योंकि फार्मासिस्ट एसोसिएशन को शासन द्वारा मान्यता दी गई है इसलिए महानिदेशालय ने वैध अवैध का निर्णय करने हेतु मामला शासन को भेज दिया है अब जबकि इन दोनों कार्य समितियों का 2 वर्षों का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। ऐसे में पुनः चुनाव करवाने के लिए इनके द्वारा अवकाश मांगे जाने पर भी महानिदेशालय द्वारा रोक लगा दी गई है ताकि कोई भी गुड अवकाश लेकर चुनाव ना करा सके महानिदेशालय की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि जब तक शासन से कोई निर्णय प्राप्त नहीं हो जाता है तब तक दोनों गुटों को संघ से संबंधित किसी भी कार्य करने की अनुमति या अवकाश नहीं दिया जा सकता है


यह है विवाद की जड़ 
डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन का प्रदेश अधिवेशन 5 मई 2013 को बागेश्वर में आयोजित हुआ था इस अधिवेशन में चुनी गई प्रदेश कार्यसमिति का 2 वर्ष का निर्धारित कार्यकाल 4 मई 2015 को पूरा हो चुका था कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी यह कार्य समिति 14 जनवरी 2018 तक पदों पर बनी रहे जिन जिन सदस्यों ने उस कार्यसमिति की वैधानिकता पर प्रश्न उठाए उनको उस कार्य समिति द्वारा संघ से बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा तब उनके आजीवन सदस्यों द्वारा स्वास्थ्य महानिदेशालय से मांग की गई कि विभागीय पर्यवेक्षक की देखरेख में संघ के निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं 14 जनवरी 2018 को जब बिना विभागीय पर्यवेक्षक की देखरेख में संघ के चुनाव होने लगे और सैकड़ों सदस्यों को मतदान से वंचित किया जाने लगा तो उस दिन संघ के दो फाड़ हो गए और 22 कार्य समितियों ने संघ के नाम पर शपथ ग्रहण किया एक गुट के अध्यक्ष एस पी सेमवाल और दूसरे गुट के अध्यक्ष प्रताप सिंह पवार बने बाद में जब दो कार्य समितियों द्वारा महानिदेशालय से पत्र चार किए जाने लगा तो महानिदेशालय ने सितंबर 2018 में दोनों पक्षों को 1 सप्ताह के भीतर अपनी वैधानिकता सिद्ध करने के लिए निर्देशित किया गया अध्यक्ष एसपी सेमवाल की कार्यसमिति ने सितंबर 2018 में अपनी वैधानिकता के दस्तावेज जमा कर दिए और अध्यक्ष पवार की कार्यसमिति द्वारा अभिलेख जमा नहीं करने पर उन्हें पुणे जनवरी 2019 में 3 दिन के भीतर अभिलेख जमा करने को कहा गया था दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों के आधार पर महानिदेशालय यह तय नहीं कर पाया कि कौन सी कार्यसमिति वैध है


यह है समाधान 
ऐसे ही मामला वर्ष 2015 में एएनएम में भी हो गया था। जिस पर निर्णय देते हुए शासन ने दोनों गुटों की गतिविधियों को प्रतिबंधित कर पुनः एक साथ नवीन चुनाव करवाने का आदेश दिया था। डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोशिएन के लिये भी इसी तरह का फैसला आने की उम्मीद है।