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सहयोग परियोजना (आई.एल.एस.पी-यू.जी.वी.एस) की समीक्षा बैठक की गयी आयोजित

जिलाधिकारी सी रविशंकर की अध्यक्षता में जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय में विकासखण्ड कालसी एवं चकराता के चयनित क्षेत्रों में संचालित एकीकृत आजीवि...

जिलाधिकारी सी रविशंकर की अध्यक्षता में जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय में विकासखण्ड कालसी एवं चकराता के चयनित क्षेत्रों में संचालित एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना (आई.एल.एस.पी-यू.जी.वी.एस) की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी।
जिलाधिकारी ने परियोजना के अन्तर्गत आच्छादित क्षेत्रों में लोगों की आजीविका बढाने हेतु बंपर दुग्ध उत्पादन को बढाने और उसका समुचित मूल्य दिलवाने के गंभीरता से प्रयास करने के सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने दुग्ध उत्पादन को व्यापक पैमाने पर बढाने के लिए सभी सम्बन्धित विभागों को आपसी समन्वय से हर संभव प्रयास करते हुए पशुधन नस्ल सुधार, टीकाकरण, दुग्ध संग्रहण केन्द्र तथा मार्केटिंग इत्यादि में सुधार के लिए तकनीकी, वित्तीय व व्यावहारिक स्तर परयोगदान देने को कहा। उन्होंने कहा कि परियोजना के अन्तर्गत प्राप्त धनराशि और विभागीय स्तर पर प्राप्त धनराशि के साथ ही स्थानीय संसाधनों का एक साथ अभिसरण (कन्वर्जेन्स)करते हुए टारगेट अप्रोच से हिमीकृत कृत्रिम गर्भाधान (शार्ट सिमेन सैक्स) तकनीक से गाय-भैंसो का समूह (कलस्टर) में कृत्रिम गर्भाधान करवायें, जिससे 90 प्रतिशत् से उपर केवल उन्नत नस्ल की बछिया ही पैदा होती है तथा इससे दुग्ध उत्पादन में व्यापक वृद्धि होगी। लोगों को भी इसी तकनीक से सभी क्षेत्रों में पशुओं के शत्-प्रतिशत् गर्भाधान करवाने को प्रेरित करें और इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में गर्भाधान केन्द्र व दुग्ध संग्रहण केन्द्र को भी बढायें। 
जिलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में यूएलडीबी (उत्तराखण्ड पशुधन विकास बोर्ड) के अधिकारियों को भी उनके पास अवशेष फण्ड का भी इसी तकनीक से पशुओं के गर्भाधान कराने के लिए संशोधित प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये। 
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी और उत्तराखण्ड पशुधन विकास बोर्ड के सदस्यों को व्यापक दुग्ध उत्पादन और शार्ट सिमेस सैक्स तकनीक से पशु गर्भाधान करवाने के सम्बन्ध में पूर्व में कार्य योजना बनाकर प्रस्तुतीकरण के निर्देश दिये थे जिसके क्रम में पशु चिकित्साधिकारी ने कार्ययोजना प्रस्तुत की, जिसको जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदित करते हुए निर्देश दिये कि संचालित क्षेत्रों में पहले कुल पशुधन, कुल दुधारू गाय-भैंस और कुल दुग्ध उत्पादन का वास्तविक डेटा प्राप्त करें, जिससे परियोजना को टारगेटेड अप्रोच से चलाने और बेहतर आउटकम प्राप्त करने में सहयोग मिलेगा। उन्होंने पशुधन और दुग्ध उत्पादन का सही आंकड़ा प्राप्त करते हुए कलस्टर आधारित कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से पशुओं की नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाने तथा डेयरी विभाग के समन्वय से दुग्ध की गुणवत्ता में सुधार करने उसके कलैक्शन और उसकी बेहतर मार्केटिंग करके आच्छादित समूहों और सहकारिताओं को अधिक से अधिक लाभान्वित करें। 
इस अवसर पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ एस.बी पाण्डेय, प्रभागीय परियोजना प्रबन्धक आईएलएसपी इकाई कालसी  बी.के भट्ट, उत्तराखण्ड पशुधन विकास बोर्ड के परियोजना प्रबन्धक सी.डी त्यागी सहित सम्बन्धित सदस्य उपस्थित थे।