उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राज्य के विभागों को ई-गवर्नेंस के माध्यम से संचालित किये जाने की दिशा में राज्य के अभियोजन विभाग को e-prosecution के...
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राज्य के विभागों को ई-गवर्नेंस के माध्यम से संचालित किये जाने की दिशा में राज्य के अभियोजन विभाग को e-prosecution के द्वारा संचालित किये जाने हेतु कार्य करने को भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित ICJS (Inter-operable Criminal Justice System) Portal जिसे उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र देहरादून राज्य इकाई द्वारा विकसित किया गया है। जिसमें NIC द्वारा जहॉ एक ओर आपराधिक विचारणों के प्रत्येक स्तर पर की जाने वाली कार्यवाहियों को ध्यान में रखा गया है वहीं दूसरी ओर अभियोजन विभाग में कार्यरत अधिकारियों के उक्त पोर्टल पर कार्य करने की सुगमता को दृष्टिगत रखते हुए e-prosecution पोर्टल को विकसित किया गया है। इस पोर्टल के क्रियान्वयन के लिए अभियोजन विभाग के अभियोजन निदेशालय के अधिकारियों व NIC के अधिकारियों द्वारा विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को समय-समय पर प्रशिक्षित किया गया है जो भविष्य में भी निरंतर प्रशिक्षण दिया जाता रहेगा। कार्य प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए अभियोजन निदेशालय के ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी श्री के0एस0 राणा को विभाग का राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो उक्त पोर्टल को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए NIC के राज्य समन्वयक श्री राकेश शर्मा के साथ समन्वय कर संचालित करने की ओर कार्य कर रहे हैं।
*प्रथम स्तर पर आज उत्तराखण्ड राज्य के जनपद देहरादून को पायलट प्रोजेक्ट बनाते हुए e-prosecution पोर्टल का शुभारंभ संयुक्त निदेशक, विधि जनपद देहरादून के कार्यालय से श्री अशोक कुमार, महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, उत्तराखण्ड/निदेशक अभियोजन एवं श्री प्रशांत जोशी, जिला जज की उपस्थिति में किया गया।* जिसमें e-prosecution से संबन्धित आवश्यक एवं लाभकारी बिन्दुओं से निदेशक अभियोजन महोदय द्वारा अवगत कराया गया जो कि निम्नवत हैः-
न्याय में विलम्ब न हो इस हेतुः-
1. अविलम्ब न्याय हेतु अभियोगों का शीघ्रता से निस्तारण, Justice delayed, Justice denied को ध्यान में रखते हुए अभियोजन कार्य को शीघ्रता से सम्पादित करवाना।
2. आपराधिक वादों के भार को कम करने की दिशा में एक कदम।
3. इसके माध्यम से अभियोजन विभाग का कम्प्यूटरीकरण (digitalisation) किया गया है।
4. इस e-portal के माध्यम से समयबद्ध अवधि में विवेचना अधिकारी, पुलिस विभाग को एक ही क्लिक पर ऑन लाईन विधिक सलाह दी जा सकेगी।
5. इस e-portal के माध्यम से पुलिस द्वारा प्रेषित आरोप पत्र की जॉच भी ऑन लाईन की जा सकेगी।
6. आई.सी.जे.एस.(गृह मंत्रालय भारत सरकार) के पोर्टल के माध्यम से सी.सी.टी.एन.एस. व ई-कोर्ट के सी.एन.आर. से FIR & e-court डाटा का एकीकरण भी किया जा सकेगा।
7. निर्दिष्ट सूचना का संग्रहण करना एवं एकल मंच पर उसकी उपलब्धता।
8. अभिलेखों का बेहतर संग्रहण।
9. लोक अभियोजको की दैनिक क्रियाओं की उचित निगरानी।
10. अपराध एवं अपराधियों का पूर्ण ब्यौरा आसानी से उपलब्ध कराना, जिसे आई.सी.जे.एस. के माध्यम से जॉच एजेन्सियों के द्वारा प्रयोग में लाया जा सकेगा।
11. एक नागरिक केन्द्रित सेवा-जिसमें आपराधिक वादों में पैरवी करने वाले लोक अभियोजकों का संपूर्ण विवरण इन्टरनेट पर उपलब्ध होगा।
इस अवसर पर जिला जज श्री प्रशांत जोशी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री विवेक श्रीवास्तव, अपर निदेशक, विधि श्री हरि विनोद जोशी, NIC के समन्वयक श्री राकेश शर्मा, अभियोजन निदेशालय के नोडल अधिकारी श्री के0 एस0 राणा, जिला शासकीय अधिवक्ता(फौ0) श्री गुरू दत्त रतूडी व जनपद देहरादून के समस्त अभियोजन अधिकारीगण उपस्थित रहे।
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