सन्त रविदास जी की शिक्षा व सन्देश समाज को आडंबर व गैरबराबरी के खिलाफ जागरूक करती है। उनका एक वाक्य का संदेश "मन चंगा तो कठौती में गंगा...
सन्त रविदास जी की शिक्षा व सन्देश समाज को आडंबर व गैरबराबरी के खिलाफ जागरूक करती है। उनका एक वाक्य का संदेश "मन चंगा तो कठौती में गंगा " गागर में सागर भरने जैसा है। सन्त रविदास जी ने कहा कि हम तन को धोते हैं लेकिन मन मैला रखते हैं , अगर मन साफ हो तो गंगा में डुबकी लगाने की आवश्यकता ही नहीं है। यह बात आज सन्त रविदास जी की जयंती के अवसर पर शास्त्री नगर में आयोजित ध्वजारोहण गोष्ठी व हवन भंडारा कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सन्त रविदास एक ऐसे सन्त थे जिन्होंने समाजसुधारक की भूमिका उस समय निभाई जब पूरा समाज अंध विश्वास, आडंबर व ऊंच नीच में बंटा हुआ था। श्री धस्माना ने कहा कि आज जब देश की सबसे बड़ी ताकत यहां की सामाजिक संरचना अनेकता में एकता है ऐसे समय में एक बार फिर देश को धर्म जाती के नाम पर कमजोर करने की साजिश फासिस्टवादी ताकतें कर रही हों और ऐसे में रविदास जी की सीख व सन्देश इस साजिश के खिलाफ सबसे ताकतवर हथियार साबित हो सकता है। इस अवसर पर श्री अवधेश, श्री महेश जोशी,श्री अनिल कुमार श्री मदन श्री मुजम्मिल श्री राम कुमार थपलियाल सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।