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दिनोंदिन बढ़ता जा रहा अवैध रूप से बिक रहे पांच किलो के सिलेंडरों का बाजार

सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस भरकर बेचने का धंधा शहर में धड़ल्ले से चल रहा है। पुलिस-प्रशासन के नाक के नीचे कारोबार फल-फूल...

सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस भरकर बेचने का धंधा शहर में धड़ल्ले से चल रहा है। पुलिस-प्रशासन के नाक के नीचे कारोबार फल-फूल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक छात्र और किराये पर रहने वाले लोग इसी तरह के सिलेंडर पर खाना बनाते हैं। हालांकि अब एफटीएल वाले छोटे सिलेंडर भी बाजार में उतारे जा चुके हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया से बचने के लिए लोग छोटे सिलेंडर का अपने रिस्क पर इस्तेमाल कर रहे हैं। अवैध गैस सिलेंडरों का यह कारोबार शहरभर में फैला हुआ है। हर गली और चौक-चौराहे पर छोटी-छोटी दुकानों में रिफिलिंग का कारोबार चल रहा है। 450 से 550 रुपए या इससे भी अधिक दाम के बीच गैस भरा जाता है। शहर के ऐसे इलाके जहां लॉज और किराए पर रूम लेकर रहने वाले छात्रों की संख्या अधिक है वहां अवैध छोटे सिलेंडरों को बेचने और रिफिलिंग का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। कई मोहल्लों में तो किराना दुकान, चाय-स्टॉल आदि पर भी यह कारोबार चल रहा है। लॉज में रहने वाले छात्र और किराये के मकान में रहने वाले निम्न आय वर्ग के लोग पांच किलो और दो किलो के छोटे गैस सिलेंडर का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए करते हैं। अवैध रिफिलिंग करने वाले 100 से 200 रुपये अधिक कीमत पर गैस कंपनियों के वेंडरों से सिलेंडर खरीदता है। एक छोटे से नोजल से बड़े से छोटे सिलेंडरों में गैस भरा जाता है। छोटे गैस सिलेंडर में 85 रुपए से लेकर 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से गैस भरी जाती है। कई बार मनमाने दाम भी लिए जाते हैं। इस तरह अवैध गैस रिफलिंग में एक सिलेंडर से दोगुना तक फायदा है। अवैध रूप से बिकने वाले इन छोटे गैस सिलेंडरों को पतले चदरों से बनाया जाता है। ज्यादा प्रेसर से गैस डालने या आग पकड़ने के बाद इन गैस सिलेंडरों के फटने की आशंका ज्यादा रहती है। वहीं अधिकतर छात्र या किराए के मकान में रह रहे लोग इन छोटे सिलेंडरों के ऊपर ही बर्नर लगाकर खाना बनाते हैं। बर्नर के कारण सिलेंडर जल्द ही गर्म हो जाता है, जो कि बहुत खतरनाक है। इन सिलेंडरों में गैस का आउटलेट पिन भी काफी कमजोर होता जिससे गैस लीक होने की शिकायतें ज्यादा रहती हैं। ऐसे सिलेंडरों में लगने वाले रेगुलेटर भी लोकल होते हैं। गैस कंपनियों के छोटे सिलेंडर ज्यादा सुरक्षित होते हैं। पांच किलो एफटीएल सिलेंडरों की बिक्री का विस्तार एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप प्वांइट्स व किराना स्टोर आदि के जरिए किया गया है। योजना के अंतर्गत बिक्री की जाने वाली एलपीजी (एफटीएल) को फ्री ट्रेड कहा जाता है। पहली बार उपकरण की लागत, नॉन डोमेस्टिक उत्पाद की वर्तमान कीमत, पांच किलो सिलेंडर का दाम समेत अन्य प्रभार देय होगा।
रसोई के लिए बाजार में अवैध रूप से बिकने वाले पांच किलो के छोटे सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइये। ये सिलेंडर किसी 'बम' से कम नहीं हैं। नियम-कायदों को ताक पर रखकर बनाए जा रहे ये सिलेंडर कभी भी हादसे की वजह बन सकते हैं। इसलिए अच्छा होगा कि प्रमाणित कंपनियों के सिलेंडर का इस्तेमाल करें। शहर में अवैध रूप से बिक रहे पांच किलो के सिलेंडरों का बाजार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। जिसके सबसे ज्यादा उपभोक्ता ठेली-रेहड़ी लगाने वाले, छात्र और श्रमिक परिवार हैं। इससे घरेलू गैस की कालाबाजारी के साथ हादसे का खतरा भी बढ़ रहा है। ज्यादा मुनाफे के लिए इन सिलेंडरों में मानक से पतली धातु का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इनके लीक होने और दबाव बढ़ने पर फटने का खतरा बना रहता है। इन सिलेंडरों की खपत बढ़ने से घरेलू गैस की अवैध रीफिलिंग का धंधा भी फूल-फल रहा है। कई बार रीफिलिंग के दौरान इन सिलेंडरों से हादसे भी हो चुके हैं। गंभीर बात यह है कि इस गोरखधंधे पर रोक लगाने के लिए गैस कंपनियां, प्रशासन और पूर्ति विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। रस्म अदायगी के लिए बीच-बीच में अभियान जरूर चलाए जाते है, लेकिन इक्का-दुक्का छापेमारी के बाद अधिकारी फिर खामोश हो जाते हैं। 
देश की तीनों प्रमुख तेल कंपनियों आइओसी, बीपीसीएल और एचपीसी के घरेलू व व्यावसायिक छोटे सिलेंडर भी बाजार में उपलब्ध हैं। आइओसी के उप महाप्रबंधक ने बताया कि छोटे सिलेंडर गैस एजेंसियों, पेट्रोल पंप या कंपनियों के अधिकृत स्टोर से खरीदे जा सकते हैं। बाजार में अवैध सिलेंडर की रीफिलिंग के लिए एक किलो पर 150 से 200 रुपये वसूले जाते है, जबकि कंपनी की ओर से छोटे घरेलू सिलेंडर की रीफिलिंग 100 रुपये और व्यावसायिक की रीफिलिंग 75 रुपये प्रति किलो की दर से की जा रही है। 
अधिकांश लोगों को भ्रम है कि गैस एजेंसी से सिलेंडर खरीदने के लिए कई सारे कागजात जमा करने के साथ भागदौड़ करनी होगी। इसी माथापच्ची से बचने के लिए लोग सुरक्षा को ताक पर रखकर बाजार में बिक रहे अवैध सिलेंडर खरीद लेते हैं। 
आइओसी के उप महाप्रबंधक ने बताया कि किसी भी गैस एजेंसी में एड्रेस प्रूफ, आधार कार्ड, फोटो और राशन कार्ड दिखाकर नया कनेक्शन लिया जा सकता है। किसी दूसरे जिले से ट्रांसफर की स्थिति में पुरानी एजेंसी से लिया हुआ निरस्तीकरण का वाउचर दिखाना होगा। व्यावसायिक कनेक्शन मात्र एक कागज दिखाकर लिया जा सकता है। जिलापूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी ने बताया कि पूर्ति विभाग अपने स्तर से अवैध रीफिलिंग की दुकानों और होटलों में छापेमारी करता आया है। गैस कंपनियां अगर इस पर काबू पाने के लिए अभियान चलाना चाहती हैं तो पूर्ति विभाग पूरा सहयोग देगा। वहीं, एलपीजी एसोसिएशन के अध्यक्ष चमन लाल का कहना है कि छोटे सिलेंडर गैस एजेंसी समेत अन्य आउटलेट पर उपलब्ध हैं। मात्र 800 रुपये सुरक्षा शुल्क और इस पर जीएसटी देकर कंपनी का सिलेंडर खरीदा जा सकता है। इसके अलावा गैस के लिए अलग से पैसा चुकाना होगा।  
इसलिए खतरनाक हैं अवैध छोटे सिलेंडर 
-ये सिलेंडर आइएसआइ मार्का नहीं होते। 
-इनके निर्माण में निम्न गुणवत्ता की धातु का उपयोग किया जाता है। 
-इन्हें बनाते हुए लीकेज की जांच नहीं की जाती। 
-निम्न गुणवत्ता के नोजल होने से गैस लीकेज का खतरा बना रहता है।