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क्या उत्तराखंड में सस्ती शराब से हासिल हो पाएगा लक्ष्य....

आबकारी नीति में राज्य सरकार ने कई बदलाव किए हैं। सबसे बड़ा बदलाव सरकार का शराब के दामों में 20 फ़ीसदी तक की कमी की जा रही है। इस बदलाव के बह...


आबकारी नीति में राज्य सरकार ने कई बदलाव किए हैं। सबसे बड़ा बदलाव सरकार का शराब के दामों में 20 फ़ीसदी तक की कमी की जा रही है। इस बदलाव के बहाने सरकार के ही लक्ष्य हासिल करने के दावे कर रही है। इस प्रदेश में शराब के दाम अधिक होते हैं वहा तस्करी की शराब पहुंचने लगती है, वहीं शराब के शौकीन लोगों को कुछ राहत मिलती दिख रही है। सरकार और शासन का यह तर्क भी है कि यदि शराब के दामों में उत्तर प्रदेश के मुकाबले कम हो जाते हैं , तो शराब की तस्करी पर अंकुश लग सकेगा।
सरकार का यह अजीबोगरीब तर्क भी अलग सा लगता है, क्योंकि ज्यादातर शराब तस्करी के मामले उत्तराखंड में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश,दिल्ली जैसे राज्यों से आते हैं। ऐसे में साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता की अगर उत्तर प्रदेश के मुकाबले यहा शराब के रेट कम होते हैं , तो भी शायद शराब तस्करी पर रोक लग सके।



वहीं दूसरी तरफ लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता और उत्तराखंड की महिलाएं राज्य में शराब के बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए काफी लंबे समय से मांग कर रही हैं। क्योंकि उत्तराखंड देवभूमि है , अर्थात देवों की भूमि इसलिए शराब पर प्रतिबंध की मांग समय-समय पर उठती रहती है। 40% से अधिक लोग उत्तराखंड में शराब का सेवन करते हैं कई परिवारों को इस सामाजिक बुराई ने नष्ट कर दिया है। अगर शराब पूरी तरह से गुजरात ,लक्ष्यदीप ,मणिपुर नागालैंड ,बिहार पर प्रतिबंध है तो उत्तराखंड में इसे प्रतिबंध क्यों नहीं किया जा सकता। युवाओं के स्वास्थ्य को यह शराब नष्ट कर रही है , और सभी इसके खिलाफ लड़ने के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए।
सरकार भी नशे के खिलाफ समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम बनाती रहती है । सरकार का मिशन दाज्यू अभी हाल ही में चल रहा है , जिसमें पहाड़ों पर भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा जबकि सरकार पहाड़ों में भी शराब की फैक्ट्रियां खोल रही है, और वहीं दूसरी तरफ सरकार शराब पर दाम कम करके इसे बढ़ावा दे रही है।
   तोहिष भट्ट
      देहरादून